खामोशियों में आज हम भी गुम होकर देखेंगे,
गुमनामी के अंधेरो में आज हम भी जी कर देखेंगे…
क्या मज़ा आता है तुझे अपनी ख्वाहिशें मारने में,
आज तेरी राहो पर हम भी चल के देखेंगे…
3 thoughts on “ख्वाहिशें”
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February 6, 2019
Wow क्या ख्वाहिशें हैं
Awesome anjali sharma
Don’t get too much lost in your hush. The darkness of anonymity gives brutal pain, and its not advisable for soft and kind heart people out there.