मत दस्तक दे अब उन दरवाज़ो को
जो बंद पड़े है…
मत पानी दे अब उन फूलो को
जो डाली से टूट गिरे है…
जो फ़ितरत तेरी थी वो किया तूने
टूटे ख्वाबो से पन्ने मेरे भरे पड़े है…
गुज़ारिश है मत जगा अब उन ख्वाबो को
जो सोए पड़े है…
तेरी कोई खबर नहीं पर
कदम मेरे मंज़िल की ओर चल पड़े है…
अब प्यास है तो समंदर मिल ही जायेगा,
और जब राह है तो मंजर भी मिल ही जायेगा।
बहुत उत्तम मेम।
Darwaaze khol ke toh dekh, Khushiyaan behisaab hai bahar,
Sikhna hai toh in gire hue phoolo se seekh jo ab bhi khushbu dere hain,
Fitrat keh skti ho ya nasamjhi, glti maanta hun main,
Par khwab apne tutne mat de, Uth aur jga apne khwabo ko,
kadam mere tere sath hi hain hmesha ke jaise, qki teri mazil hi meri mazil hai,
toh mehsus kar in kadmo ko aur hath tham le mera, suna hai sath chalne se raasta aasan ho jata hai.
Awesome ……….
Awesome lines …
अब मन में नहीं रुकेंगे एहसास तुम्हारे
लडखडाती कलम से अब ये कागज पे चल पड़े हैं।
Very nice
Bahut acchi..