यूँ तो मेरी सबसे प्रिय कविता है तू,
पर शब्दो में कभी तुझे बुना नही मैने…
शख़्शीयत पर तेरी किसी का दिल ना आ जाए,
इसलिए कभी तुझे लिखा नही मैने….
4 thoughts on “प्रिय कविता”
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February 6, 2019
So beautiful line
बहुत दिनों से लिखना चाह रहा हूं ऐ कविता तुझे,
पर बेवक्त और बेवजहा आँख मेरी लग जाती है….
बढ़ी दूर से आया था वो मिलने मुझे,
पर बेवक्त और बेवजहा आँख मेरी लग जाती है….
Nice ..
Shabdo mein wo bun leti woh toh,
Aaj bhi uska dil mere sath buna hua hota,
Duniya ki bahut fikr thi usko,
Aur aaj wo hi iss kavita se dur hai.